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Writer's pictureDev Rai

Shivoham

Updated: Jun 18



 

 

 

मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम्।

न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे।

न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुः।

चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्।

 

मेरा मन, बुद्धि, अहंकार, और मन की वृत्तियाँ नहीं हैं। मेरे कान, जीभ, नाक, और नेत्र नहीं हैं। मेरे अंतरिक्ष, पृथ्वी, अग्नि, वायु नहीं हैं। मैं चिदानंद स्वरूप शिव हूँ।

न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायुः। 

न वा सप्तधातुर् न वा पञ्चकोशः। 

न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायू। 

चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्।

 

प्राण, पांच प्राणवायु, सप्त धातु, पांच कोश नहीं हैं। मेरे वाक्य, हाथ-पैर, और उपस्थिति भी नहीं हैं। मैं चिदानंद स्वरूप शिव हूँ।

न मे द्वेष रागौ न मे लोभ मोहौ।

मदो नैव मे नैव मात्सर्य भावः।

न धर्मो न चार्थो न कामो ना मोक्षः।

चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्।

 

मेरे पास द्वेष, राग, लोभ, मोह, अहंकार, और मात्सर्य नहीं हैं। धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष भी नहीं हैं। मैं चिदानंद स्वरूप शिव हूँ।

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखम्।

न मन्त्रो न तीर्थं न वेदाः न यज्ञाः।

अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता।

चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्।

 

न तो मेरे पास पुण्य है, न पाप है, न सुख है, न दुःख है।

मेरे पास न मन्त्र है, न तीर्थ है, न वेद है, न यज्ञ है।

मैं न तो भोजन करता हूँ, न भोज्य हूँ, और न ही भोक्ता हूँ।

मै चिदानंद स्वरूप शिव हूँ।

न मे मृत्युशंका न मे जातिभेदः।

पिता नैव मे नैव माता न जन्म।

न बन्धुर् न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः।

चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्।

 

मेरे पास मृत्यु की चिंता नहीं है, न ही जाति का भेद है।

मेरे पास पिता नहीं है, न माता है, और न ही जन्म है।

मेरे पास न बंधु है, न मित्र है, और न ही गुरु है, न शिष्य है।

मैं चिदानंद स्वरूप शिव हूँ।

अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो।

विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्।

न चासंगतं नैव मुक्तिर्न मेय:।

चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्।

मैं निर्विकल्प हूँ, निराकार स्वरूप हूँ।

मैं सर्वत्र व्याप्त हूँ, सभी इंद्रियों में हूँ।

मेरे साथ सदा समर्थ रहो, न मुक्ति है, न ही बंधन है।

 मैं चिदानंद स्वरूप शिव हूँ।

 

 

Benefits of This Mantra For Believers

The “Shivoham Shivoham” mantra has several potential benefits. Let’s explore its meaning and significance:

  1. Purification of Mind, Soul, and Body:

  • The mantra helps purify the mind, soul, and physical body.

  • By chanting it, you can cleanse negative thoughts, emotions, and impurities.

  • It encourages self-awareness and inner clarity.

  1. Freedom from Turmoil and Discontent:

  • Regular recitation of the mantra brings inner peace and tranquility.

  • It frees you from restlessness, anxiety, and feelings of failure.

  • You learn to accept life’s challenges with equanimity.

  1. Alignment with Spiritual Goals:

  • The mantra reminds you of your divine nature.

  • It encourages you to focus on your spiritual path and purpose.

  • By chanting it, you take steps toward liberation (moksha) and success.

  1. Mental Strength and Resilience:

  • The mantra empowers you mentally.

  • It strengthens your resolve and resilience.

  • You become better equipped to face life’s ups and downs.

  1. Self-Realization and Connection to Universal Consciousness:

  • “Shivoham” means “I am Shiva” or “I am the Divine.”

  • By repeating this, you recognize your inherent divinity.

  • It deepens your connection to the universal consciousness.

Remember that consistent practice and sincere intention enhance the benefits of any mantra. Feel free to incorporate this powerful mantra into your daily spiritual practice! 🙏🕉️

 

 

इसके अलावा, यह मंत्र आपको आत्मिक शक्ति प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

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1 Comment


100 percent true about this mantra it's very powerful chant.

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